बलात्कार पीड़ित की गलती
५ अप्रैल २०१४ब्राजील के लोगों का ऐसा मानना है कि जिन भी लड़कियों के साथ बलात्कार या यौन अपराध होते है, वे खुद ही इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. पीड़ितों में कई 18 साल से कम उम्र की युवतियां हैं और अधिकतर मामलों में यौन दुराचार करने वाले को पहचानती हैं. सांबा और कार्निवाल के लिए मशहूर देश में हालिया सर्वे मे कहा गया कि, "महिलाएं जो एकदम तंग कपड़े पहनती हैं, उन पर अगर हमला होता है तो वो उसी लायक हैं. अगर महिलाएं जानतीं कि कैसे पेश आना है तो बलात्कार कम होते."
एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च की ब्राजिलियाई संस्था (आईपीईए) के सर्वे में सामने आया कि अधिकतर ब्राजीलियाई इस विचार से इत्तेफाक रखते हैं. 18 से 50 साल के 3,810 लोगों से सवाल किया गया और इनमें से 58.8 फीसदी ने कहा कि तंग कपड़े पहनने वाली महिलाएं बलात्कार के ही लायक हैं. 65 फीसदी का कहना है कि अगर महिलाएं सही ढंग से पेश आएं तो बलात्कार कम होते है. जनता और सर्वे एजेंसी दोनों के लिए ही ये नतीजे चौंकाने वाले हैं. आईपीईए में सोशियो साइंटिफिक स्टडी के निदेशक राफाएल ओसोरियो कहते हैं, "नतीजे इसलिए डराने वाले हैं क्योंकि वो पितृसत्तात्मक मानसिकता पर आधारित हैं."
पहले भारत फिर ब्राजील
जो टिप्पणियां ब्राजील निवासियों ने दी हैं वो भारत में दी जाने वाली टिप्पणियों से बहुत अलग नहीं हैं. दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में हुए बलात्कार के बाद भारत में भी इसी तरह की टिप्पणियां आम जनता से लेकर नेताओं की ओर से आई थीं, जिनमें महिलाओं को ही इसका जिम्मेदार ठहराया गया था. ब्राजील की जनता भी इस सर्वे से भौंचक्की है. ओसोरियो ने कहा, "यह बहुत ही दुखी करने वाला है कि विकास के बावजूद जब मुद्दा समानता का हो तो पितृसत्तात्मक विचार ही सामने आते हैं."
जो लोग सर्वे में शामिल थे उनमें से 69 फीसदी का मानना था कि पुरुषों को ही परिवार का मुखिया होना चाहिए. हालांकि एक अन्य सर्वे के मुताबिक 91 फीसदी लोगों ने कहा कि जो पुरुष महिलाओं के साथ मार पीट करते हैं उन्हें जेल में भेज देना चाहिए.
अपराध लेकिन अपराधी नहीं
सरकारी शोध संस्थान आईपीईए का अंदाजा है कि ब्राजील में हर साल बलात्कार के 5,27,000 मामले आते हैं. संस्था के मुताबिक 70 फीसदी बलात्कार पीड़ित, जिन्होंने मामला दर्ज किया, वो 18 साल से कम उम्र की थीं और उनके अपराधी या तो परिजन थे या उनकी पहचान के लोग. ब्राजील के सोशल मीडिया में भी घरेलू हिंसा का मुद्दा और रिपोर्टें छायी रहती हैं. इतना ही नहीं रिपोर्टों के मुताबिक सोशल मीडिया में कई पुरुष साथ मिलकर सार्वजनिक परिवहन से सफर करने वाली महिलाओं पर यौन हमले की योजना भी बनाते हैं. महिलाओं के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन सेम्प्रेविवा ऑर्गनिजात्सों फेमिनिस्टा की सोनिया कोहेलो बताती हैं कि बसों और ट्रेनों में ऐसे हमले होते हैं और अब पुरुषों को उत्तेजित करने के लिए इस तरह के वीडियो इंटरनेट पर डाले जा रहे हैं. कोहेलो के मुताबिक फेसबुक से 12,00 फैन्स वाला एक ऐसा ही पेज हटाया गया.
रिपोर्टः आस्ट्रिड प्रांगे, क्लारिसा नेहर
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी